श्री शनिधाम ट्रस्ट का बेटी-बचाओ-बेटी पढ़ाओ-देश बचाओ अभियान
परमहंस दाती महाराज की प्रेरणा, श्री शनिधाम ट्रस्ट का प्रयास
मिशन पूर्ण शक्ति एवं जिला प्रशासन का सहयोग
श्री शनिधाम ट्रस्ट व पाली जिला प्रशासन के प्रयासों का प्रतिफल
पाली में बेटियों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है
लगातार बढ़ रहा है पाली का लिंगानुपात
प्रति 1000 लड़कों के मुकाबले लड़कियों की संख्या 1171 तक पहुंची
---------------------------------------------------------------------------
श्री सिद्ध शक्तिपीठ शनिधाम पीठाधीश्वर सद्गुरु शनिचरणानुरागी श्री श्री 1008 महामण्डलेश्वर परमहंस दाती महाराज की प्रेरणा से श्री शनिधाम ट्रस्ट,मिशन पूर्णशक्ति और पाली जिला प्रशासन के संयुक्त प्रयासों का सकारात्मक नतीजा दिख रहा है। श्री शनिधाम ट्रस्ट का बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ-देश बचाओ अभियान में पाली रोल मॉडल साबित हो रहा है। पाली जिले के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि यहां की सभी 321 ग्राम पंचायतों में से 206 ग्राम पंचायतों में बेटियों की संख्या अप्रत्याशित रूप से बढ़ा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार जिले के सभी 10 खण्डों में पिछले चार महीने में 4,915 बेटियों के मुकाबले महज 4,196 बेटों ने जन्म ने जन्म लिया है। यह संभवतया परमहंस दाती महाराज की प्रेरणा से बेटियों के प्रति लोगों की सोच में आया सकारात्मक बदलाव ही नतीजा है कि जिले के लिंगानुपात ने पूरे प्रदेश में पाली जिले को पहले स्थान पर लाकर खड़ा कर दिया है। इसमें सबसे बड़ा सहयोग श्री शनिधाम ट्रस्ट का बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ-देश बचाओ अभियान का रहा है। दातीश्री की प्रेरणा से श्री शनिधाम ट्रस्ट, राजस्थान सरकार और पाली जिला प्रशाससन के प्रयासों से यह भी पहली बार हुआ है कि अब जिले का लिंगानुपात प्रति 1000 लड़कों पर लड़कियों की संख्या 1171 तक पहुंची है।
वास्तव में सत्संग और समाज की सेवा में सदा संलग्न रहने वाले दातीश्री ने कन्या भ्रूणहत्या और महिलाओं के प्रति समाज में फैली कुरीतियों को गंभीरता से लिया और महिला सशक्तिकरण का बीड़ा उठाया। दातीश्री की प्रेरणा से आज श्री शनिधाम ट्रस्ट द्वारा महिलाओं के उत्थान हेतु कन्या भ्रूण संरक्षण, महिला सशक्तिकरण और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ-देश बचाओ अभियान के साथ दाती मातृत्व बीमा योजना,दाती संकट मोचक योजना, बालिका जन्मोत्सव योजना, बालिका की जननी को बधाई संदेश योजना, दाती सुमंगला योजना, दाती कन्यादान योजना, दाती हाथठेला योजना, दाती गरीब कार्ड योजना, नंद घर एवं आपणी बेटी योजना जैसी दर्जनों योजनाएं संचालित की जा रही है।
दरअसल, लगातार शिशु लिंगानुपात का घटना दाती महाराज के लिए बेहद चिंता की बात थी। लिहाजा इस स्थिति को बदलने तथा बेटियों को संबल और सशक्त बनाने के लिए उन्होंने पाली जिले के गांव आलावास से बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ-देश बचाओ अभियान का शुभारंभ किया। देखते ही देखते यह महा-अभियान बन गया है। दातीश्री के इस महा-अभियान को केंद्र सरकार ने न केवल सहर्ष अपनाया है बल्कि संपूर्ण राष्ट्र में लागू भी किया है। पाली जिले में भी दातीश्री की प्रेरणा से श्री शनिधाम ट्रस्ट और जिला प्रशासन के संयुक्त प्रयासों से पिछले तीन साल से भी अधिक समय से बेटी जन्मोत्सव का कार्यक्रम किया जा रहा है। बेटियों के जन्म को बढ़ावा देने के लिए जिले में मिशन पूर्ण शक्ति कार्यक्रम के तहत काम करने वाली महिलाओं की ओर से गांवों में बेटी जन्मोत्सव को लेकर महिलाओं को जागरूक करने के साथ ही उनके परिवार के सदस्यों को इसके बारे में जानकारी दी जा रही है। इसी का परिणाम है कि अक्टूबर 2016 से जनवरी 2017 तक चार महीनों में जहां 4,196 बेटों ने जन्म लिया, वहीं 4,915 बेटियों ने जन्म लिया। इससे पाली जिले का लिंगानुपात 956 से बढ़कर 1171 पर पहुंच गया है।
पाली कलेक्टर कुमारपाल गौतम ने बताया कि लिंगानुपात में बढ़ोतरी होना खुशी की बात है। 206 ग्राम पंचायतों में बेटों से ज्यादा बेटियों ने जन्म लिया है। अब हम प्रयास करेंगे की चार महीनों में जो लिंगानुपात 1171 हुआ है, वह अब बढ़ाता रहे। इसमें मिशन पूर्ण शक्ति की महिलाओं और श्री शनिधाम ट्रस्ट के साथ ही जिला प्रशासन का भी काफी योगदान रहा है। कलेक्टर ने बताया कि परमहंस दाती महाराज ने गांव-गांव और घर-घर जाकर लोगों को इसके प्रति जागरूक किया है, दातीश्री अपने सभी धार्मिक कार्यक्रमों और सामाजिक समारोहों के माध्यम से कन्या भ्रूण संरक्षण और महिला सशक्तिकण के प्रति लोगों से आह्वान करते रहे हैं। मिशन पूर्ण शक्ति और आपणी बेटी योजना से भी लोगों में जागरूकता बढ़ी है। पिछले कुछ सालों में बेटियों के प्रति लोगों का नजरिया बदला है। इसमें सबसे बड़ा योगदान परमहंस दाती महाराज और उनके सानिध्य में संचालित संस्थान श्री शनिधाम ट्रस्ट का रहा है। बेटियों के जन्मोत्सव को लेकर चलाई जा रही योजनाओं के तहत भी लोगों में जागरूकता आई है, जिसमें सबसे बड़ा योगदान मिशन पूर्ण शक्ति के तहत कार्य करने वाली महिला समन्वयकों का है, जो इसके लिए घर-घर जाकर बेटी जन्मोत्सव का बढ़ावा दे रही है। वहीं बेटियों के प्रोत्साहन के लिए जिला प्रशासन के सहयोग से शुरू की गई आपणी बेटी योजना से भी बेटियों को प्रोत्साहन मिला है। वास्तव में परमहंस दाती महाराज की प्रेरणा से तीन साल पहले श्री शनिधाम ट्रस्ट द्वारा बेटी जन्मोत्सव कार्यक्रम की शुरुआत की गई। हर साल श्री शनिधाम ट्रस्ट और जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में बेटी जन्मोत्सव को लेकर जिले में ग्राम पंचायत स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसी से बेटी के जन्म को लेकर लोगों की सोच बदली है। इतना ही नहीं, जिले में सकारात्मक परिणाम मिलने के बाद यह योजना अब पूरे देश में भी लागू की गई है।
अगर हम आंकड़ों की बात करें तो जिले के सभी दस खण्डों में अक्टूबर 2016 से जनवरी 2017 के बीच जन्म लेने वाले बेटों के मुकाबले बेटियों की संख्या अधिक है। सभी दस खण्डों में जन्म लेने वाली बेटियों की संख्या जहां 4915 है, वहीं बेटों की संख्या सिर्फ 4196 है। पाली जिले की लिंगानुपात की बात करें तो यहां 1000 बेटों मुकाबले 1171 बेटियां हैं। जिला प्रशासन के आंकड़ों के मुताबिक पाली ब्लॉक में बेटियों की संख्या 625, जबकि बेटों की संख्या 508 है, यहां प्रति 1000 लड़कों पर 1230 लड़कियां हैं। बाली ब्लॉक में जन्म लेने वाली बेटियों की संख्या 606, जबकि बेटों की संख्या 534 है, इस ब्लॉक में प्रति 1000 लड़कों पर 1135 लड़कियां हैं। इसी प्रकार से सोजत ब्लॉक में जन्म लेने वाली बेटियों की संख्या 455, जबकि बेटों की संख्या 401 है, यहां प्रति 1000 लड़कों पर लड़कियों की संख्या 1135 है। जैतारण ब्लॉक में जन्म लेने वाली बेटियों की संख्या 325 है, जबकि बेटों की संख्या 286 है। जैतारण नें प्रति 1000 लड़कियों पर लड़कों की संख्या 1136 है। रोहट में बेटियों की संख्या 548, जबकि बेटों की संख्या 501 है और यहां प्रति 1000 लड़कों को मुकाबले लड़कियों की संख्या 1094 है। मारवाड़ जंक्शन ब्लॉक में बेटियों की संख्या 340, जबकि बेटों की संख्या 239 है, यहां के लिंगानुपात की बात करूं तो यहां प्रति 1000 लड़कों पर 1423 लड़कियां हैं। सुमेरपुर ब्लॉक में बेटियों की संख्या 747, जबकि बेटों की संख्या 593 है। यहां 1000 लड़कों के मुकाबले लड़कियों की संख्या 1260 है। रायपुर मारवाड़ ब्लॉक में जहां बेटियों की संख्या 601 है, वहीं बेटों की संख्या 567 है। इस बलॉक में प्रति 1000 लड़कों पर लड़कियों की संख्या 1060 है। रानी ब्लॉक में बेटियों की संख्या 298, जबकि बेटों की संख्या 288 है। यहां प्रति 1000 लड़कों पर लड़कियों की संख्या 1035 है और देसूरी ब्लॉक में बेटियों की संख्या 370,जबकि बेटों की संख्या 297 है। इस ब्लॉक में प्रति 1000 लड़कों पर 1426 लड़कियां हैं।
-----------
जिले में सभी ब्लॉक के लिंगानुपात का आंकड़ा
-------------------------------------------------------
ब्लॉक बेटियों का जन्म बेटों का जन्म लिंगानुपात
पाली 625 508 1230
बाली 606 534 1135
सोजत 455 401 1135
जैतारण 325 286 1136
रोहट 548 501 1094
मारवाड़ जंक्शन 340 239 1423
सुमेरपुर 747 593 1260
रायपुर मारवाड़ 601 567 1060
रानी 298 288 1035
देसूरी 370 279 1326
(आंकड़े अक्टूबर 2016 से जनवरी 2017 तक के)
अगर देश की जनगणना के अनुसार पाली जिले की लिंगानुपात की बात करूं तो साल 2001 में यहां प्रति 1000 लड़कों के मुकाबले लड़कियों की संख्या 911 थी, जो 2011 में घटकर प्रति 1000 लड़कों के मुकाबले 899 पर पहुंच गई। लेकिन चिकित्सा विभाग के अनुसार सन् 2016 में पाली जिले में लड़कियों की संख्या में भारी वृद्धि दर्ज की गई और यहां प्रति 1000 लड़कों के मुकाबले लड़कियों की संख्या 899 से बढ़कर 956 तक पहुंच गई। इतना ही नहीं जनवरी 2017 में बढ़कर यह बढ़कर प्रति 1000 लड़कों के मुकाबले 1171 तक पहुंच गई है।
इस तरह से बढ़ा लिंगानुपात
------------------------------------
2001की जनगणना के अनुसार : 911
2011 की जनगणना के अनुसार : 899
2016 मार्च में चिकित्सा विभाग के अनुसार : 956
2017 जनवरी में चिकित्सा विभाग के अनुसार : 1171
पाली चिकित्सा विभाग की ओर से लिंगानुपात को लेकर जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार जिले में सबसे अधिक लिंगानुपात देसूरी बलॉक का है, जो 1326 है। इसके अलावा अन्य ब्लॉकों में लिंगानुपात का आंकड़ा देखा जाए तो सभी ब्लॉकों में 1000 से अधिक है। यानी प्रति 1000 लड़कों पर लड़कियों की संख्या 1000 से अधिक है। और परमहंस दाती महाराज की प्रेरणा से श्री शनिधाम ट्रस्ट, पाली जिला प्रशासन, मिशन पूर्ण शक्ति और चिक्तिसा विभाग के प्रयासों से बेटियों की संख्या में उतरोत्तर बढ़ोत्तरी होती रहेगी। क्योंकि बेटी है तो ये सृष्टि है। बेटी नहीं होगी तो ये सृष्टि भी नहीं होगी।